
तुझे क्या देखा खुद को ही भूल गए
हम इस कदर कि अपने ही घर
जो आए तो और उसे पता पूछ पूछकर

रफ़्तार कुछ इस कदर तेज है
जिंदगी की कि सुबह का दर्द
शाम को पुराना हो जाता है

करेगा जमाना भी कदर हमारी
एक दिन बस हमारी यह
वफा करने की लत मिट जाए

चलो आज बचपन का कोई खेल खेलें
बड़ी मुद्दत हुई बेवजह हंसकर नहीं देखा

चैन मिलता था जिसे आकर पनाहों
में मेरी आज देता है वही अश्क निगाहों में मेरी

कशिश होती है कुछ फूलों में पर खुशबू नहीं होती
यह अच्छी सूरत तो वाले सभी अच्छे नहीं होते

दीदार की तलब हो तो नजरें जमाए रखना
क्योंकि नकाब हो या नसीब सरकता जरूर है

यह आशिक नहीं तेरी यादों के मोती हैं
तेरे लिए रोज सवरती हूं इन्हें पहन कर

गुनाह करके सजा से डरते हैं
जहर पी के दवा से डरते हैं
दुश्मन के सितम का खौफ नहीं हमें
हम तो दोस्तों के खफा होने से डरते हैं

मुझे गुमान था कि चाहा बहुत सब ने मुझे
मैं अजीज सबको था मगर जरूरत के लिए

टूटे हुए प्याले में जाम नहीं आता इश्क में
मरीज को आराम नहीं आता यह बेवफा
दिल तोड़ने से पहले यह सोच तो लिया होता
कि टूटा हुआ दिल किसी के काम नहीं आता
Dard Shayari In Hindi