
उस जैसा मोती पुर ए समंदर में नहीं है
वह चीज मांग रहा हूं जो मुकद्दर में नहीं है
किस्मत का लिखा तो मिल जाएगा मेरे खुदा
वह चीज अदा कर जो किस्मत में नहीं है

ठे है दिल मैं यह अरमा जगाए कि
वह आज नजरों से अपनी पिलाएं
मजा तो तब ही पीने का यारों इधर
हम पिए और नशा उनको आए

पी है शराब हर गली की दुकान से
दोस्ती सी हो गई है शराब की जाम
से गुजरे हैं हम कुछ ऐसे मुकाम से की
आंखें भर आती है मोहब्बत के नाम से

धड़कनों को कुछ तो काबुल में कर
ए दिल अभी तो पलके झुकाए हैं
मुस्कुराना अभी बाकी है उनका

जरूरी है तेरे एहसास मेरे अल्फाजों के लिए
तुम बिन हर शायरी अधूरी है मेरी

किसी शायर से कभी उसकी उदासी की
वजह पूछना दर्द तो इतनी खुशी से
सुनाएगा की प्यार हो हो जाएगा

मेरी गरीबी ने उड़ाया है मेरी हर
काबिलियत का मजाक तेरी दौलत ने
तेरे हर ऐब को हुनर बना दिया

दबे होठों को बनाया है सहारा अपना सुना है
कम बोलने से बहुत कुछ सुलझ जाता है

समंदर की स्याही बनाकर शुरू किया था लिखना
खत्म हो गई स्याही मगर मां की तारीफ बाकी है

तमाम नींदे गिरवी हैं उनके पास
जरा सी मोहब्बत ली थी जिससे