
भूख रिश्तो को भी लगती है
प्यार कभी परोस कर तो देखिए

परेशानी में कोई सलाह मांगे तो सलाह
के साथ अपना साथ भी देना क्योंकि
सलाह गलत हो सकती है साथ नहीं

महसूस हो रही थी सरगोशियां धड़कनों की
लगता है एक पागल मेरे शहर आ रहा है

गम ने हंसने न दिया जमाने ने रोने ना दिया
इस उलझन ने चैन से जीने ना दिया थक के
जब सितारों से पनाह ली नींद आई
तो तेरी याद ने सोने ना दिया

भीग गई पलकें फिर यह सोचकर तू मिलने
आ तो रहा है मगर फिर बिछड़ने के लिए

काश मेरा घर तेरे घर के करीब होता बहुत
करना ना सही तुझे देखना तो नसीब होता

इससे अच्छा हम चांद से मोहब्बत कर लेते
लाख दूर सही लेकिन दिखाई तो देता है

कहीं तुम भी ना बन जाना किरदार
किसी किताब का लोग बड़े शौक
से पढ़ते हैं कहानी बेवफाओं की

हमें आदत नहीं इंतजार की पर क्या
करें सुना है तेरे दर पर लंबी कतारें हैं