जिंदगी का खेल शतरंज से भी मज़ेदार निकला!
मैं हारा भी तो अपनी हीं रानी से.
सुना है इश्क की सजा मौत होती है..
तो लो मार दो हमेँ प्यार करते है हम आपसे
जिन्दगी मे कभी खुद को तन्हा न समझना,
साथ हूं मे तुम अपने से जुदा न समझना,
उर्म भर दोस्ती का वायदा किया है,
अगर जिन्दगी साथ न दे,
तो बे वफा न समझना!!
मेरी तन्हाई पुछती हे मुझसे,
बता आज कौन बिछड गया तुझसे,
क्या बताऊँ की मेरा कोई साथी ही नही,
शायद आज जुदा हो गया हुँ खुद से.!
वही हम हैं वही ज़िन्दगी है हमारी
हाँ कभी-कभी कुछ अलग-सा भी हो जाया करता है
बस कर बी और इम्तहान मत ले मेरे
सब्र का ऐ जिंदगी वर्ण मुझे बस
कुछ ही वक़्त लगेगा तेरा ये खेल खत्म करने में
इश्क करते है तुमसे इसलिए खामोश है अबतक,
खुदा न करे मेरे लब खुले और तुम बर्बाद हो जाओ.