
बेवफाई तो सब करते है पगली….
तु तो समजदार थी,कुछ नया कर लेती.

थोडे ओले इस दिल में भी बरसा दे ए मालिक..
उसकी यादों की फसल अब भी खड़ी है यहाँ.

अब की बार मिलोगे तो खूब रुलायेंगे तुम्हे.
सुना है तुम्हे रोने के बाद सीने से लिपट जाने की आदत है

एक वो है जो समझता नही,
और यहाँ जमाना मेरी कलम
पढ़ कर दीवाना हुआ जा रहा है

ऐसा करते हैं तुम पर मरते हैं,
वैसे भी हमें मर ही जाना हैं

इतनी ठोकरे देने के लिए शुक्रिया ए-ज़िन्दगी
चलने का न सही, सम्भलने का हुनर तो आ गया

ज़नाज़ा इसलिए भारी था
उस गरीब का
वो अपने सारेअरमान साथ लेकर गया था