
लोग बेवजह ढूँढते हैँ खुदखुशी के तरीके हजार;
इश्क करके क्यों नहीँ देख लेते वो एक बार।

आँखें थक गई है आसमान को देखते देखते
पर वो तारा नहीं टूटता ,
जिसे देखकर तुम्हें मांग लूँ

सुना है के तुम रातों को देर तक जागते हो
यादों के मारे हो या मोहब्बत में हारे हो

मुहब्बत न सही मुकद्दमा ही कर दो मुझ पर……
तारीख़ दर तारीख़ तेरा दीदार तो होगा

किस किस से वफ़ा के वादे कर रखे हैं तूने
हर रोज़ एक नया शख्स मुझसे तेरा नाम पूछता है

तेरे बिना जीना मुश्किल है …!
ये तुझे बताना और भी मुश्किल है

जो उड गये परिंदे उनका क्या अफसोस करें
यहां तो पाले हुए भी गैरों की छतों पर उतरते हैं