कागज़ की कश्ती से पार जाने की ना सोच;
चलते हुए तुफानो को हाथ में लाने की ना सोच;
दुनिया बड़ी बेदर्द है, इस से खिलवाड़ ना कर;
जहाँ तक मुनासिब हो, दिल बचाने की सोच।
कुछ मैं भी थक गयी हूँ उसे ढूँढ़ते-ढूँढ़ते;
कुछ ज़िंदगी के पास भी मोहलत नहीं रही;
उसकी एक-एक अदा से झलकने लगा था खलूस;
जब मुझ को ही ऐतबार की आदत नहीं रही।
हर बार मेरे सामने आती रही हो तुम;
हर बार तुम से मिल के बिछड़ता रहा हूँ मैं;
तुम कौन हो ये खुद भी नहीं जानती हो तुम;
मैं कौन हूँ ये खुद भी नहीं जानता हूँ मैं।
ख़बर नहीं थी किसी को कहाँ कहाँ कोई है;
हर इक तरफ़ से सदा आ रही थी याँ कोई है;
यहीं कहीं पे कोई शहर बस रहा था अभी;
तलाश कीजिये उसका अगर निशाँ कोई है।
इस नए साल में ख़ुशियों की बरसातें हों;
प्यार के दिन और मोहब्बत की रातें हों;
रंजिशें नफ़रतें मिट जायें सदा के लिए;
सभी के दिलों में ऐसी चाहते हों!
उदास लम्हों की न कोई याद रखना;
तूफ़ान में भी वजूद अपना संभाल रखना;
किसी की ज़िंदगी की ख़ुशी हो तुम;
बस यही सोच तुम अपना ख्याल रखना।